2) उत्कटासन(Utkatasan): उत्कटासन खुद कोर एक कुर्सी की तरह खड़ा करना होता है। इस आसन से जंघाओं और शरीर के पिछले हिस्से में मजबूती और खूबसूरती आती है। जिनके घुटनों में दर्द या ब्लड प्रेसर की बीमारी हो उसे यह आसन नहीं करना चाहिए। यह आसन पेट के लिये बहुत फायदेमंद है जो आपको अपच, कब्ज या एसिडिटी की समस्या से रोकता है।छाती की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है। यह आसन स्त्रियों के लिए एक अलग मुक़ाम रखता है। इसके नियमित अभ्यास से वीर्य का प्रभाव सही तरीके से होने लगता है और पुरुष इसको बहुत देर तक रोक सकते हैं।जिनको पाइल्स की समस्या है उनको प्रायः इस आसन का अभ्यास करना चाहिए। ह्रदय रोग वाले इसको किसी विशेषज्ञ की निगरानी में करे।
3) सेतुबंधासन(Sethubandhasan): इस आसन से पीठ और हिप्स की मांसपेशियों में मजबूत होती है। शरीर को सुडौल बनाने के लिए यह आसन भी काफी उपयोगी है। रीढ़ की हड्डी में लचीलापन बढ़ाता है। सीने, गर्दन और रीढ़ की हड्डी में खिंचाव पैदा करता है। पाचन सुधारता है और मेटाबॉलिज्म सुधारता है। एंग्जाइटी, थकान, कमर दर्द, सिरदर्द और इंसोम्निया में फायदेमंद होता है। दिमाग को शांत करता है। रक्त संचार सुधारता है।
5) बद्ध कोणासन(Baddh konasana): बद्ध कोणासन शरीर के निचले हिस्से को में तनाव लाता है। जिससे जंघाओं और हिप्स आकार सुडौल होने के साथ मजबूत भी होते हैं। रजोनिवृत्ति के लक्षणों को दूर करने में मदद करता है। गर्भावस्था के अंत तक अगर इसे किया जाए तो बद्ध कोणासन प्रसव को आसान बनाने में मदद करता है। घुटनों संबधी परेशानी वाले शख्स को यह आसन नहीं करना चाहिए। जिनके घुटनों में दर्द या चोट हो उन्हे बद्ध कोणासन नहीं करना चाहिए।जिन लोगों को ग्राय्न में, या साइटिका की परेशानी हो, या कमर में चोट हो तो उन्हे बद्ध कोणासन नहीं करना चाहिए।
6) नटराजासन(Natrajasan): इस आसन को करने से पूरा शरीर संतुलित होता है। इससे पैरों की मांस पेशियां मजबूती आती है और हिप्स सुडौल होते हैं।जांघों का मोटापा कम करने के लिए फायदेमंद है। बाहों की मजबूती के लिए फायदेमंद है। घुटने को आराम दिलाना में मददग़ार है। नटराजासन उनको नहीं करनी चाहिए जिन्हें घुटनों में बहुत दर्द हो। साइटिका के रोगियों को इससे परहेज करनी चाहिए। रीढ़ की हड्डी में कोई परेशानी हो तो इन्हें करने से बचें।
7) उत्थित हस्त पदांगुस्ठासन(utthita hasta padangusthasan): इस आसन से पैरों के हर हिस्से का व्यायाम होता है। इससे पैरों का आकार सुडौल होता है।वजन करे कम में मद्दगार है। टांगों, घुटनों और टखनों में खिचाव लाता है और उन्हे मजबूत बनाता है। मांसपेशियां स्ट्रॉन्ग बनती हैं।पाचन की समस्या को दूर करता है। नर्वस सिस्टम को मजबूत करता है। नितम्ब या कूल्हों की मांशपेशियों को मजबूत करती है
8) मलासन(Malasan): मालासन करने से धड़, हिप्स और टांगों में मजबूती आती है। जिनको बड़े हिप्स और सुडौल हिप्स की इच्छा हो उनके लिए मलासन योग बहुत लाभकारी है। इससे जननागों में रक्त प्रवाह भी बेहतर होता है। लोअर बैक के लिए अच्छा काम करता है। पीठ की मांसपेशियों को लचीला बनाता है। कमर और स्पाइन के मूवमेंट को बेहतर बनाता है।घुटने की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है। सीने और कंधे के मूवमेंट को बेहतर बनाता है। कंधों को मजबूत और लचीला बनाता है। पेट की भीतरी मसल्स को अच्छी मसाज देता है।हिप्स को लचीला और मजबूत बनाता है।
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